बाँस का वैज्ञानिक नाम बैम्बू सोडिया (bamboo sodiya) है।वानस्पतिक नाम बैम्बूसा वल्गरिस (baimboosa valgaris) है।इसे हिंदी में बाँस कहते हैं।अंग्रेजी में बैम्बू (bamboo),थॉर्न बैम्बू(thorny bamboo) कहते हैं।बाँस पोएसी (poaceae)घास के कुल का पौधा है।बाँस का प्रत्येक भाग जैसे -बीज, अंकुर (कोपलें), जड़,कली, पत्ती इत्यादि हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है।
Bamboo shoots eating benefits loss tips |
बाँस की कोंपलों को खाने में या रेसिपी बनाने में प्रयोग किया जाता है।बाँस की कोंपलों को बैम्बू सूट्स (bamboo shoots) कहते हैं।आयुर्वेद में बाँस को बंसलोचन कहते हैं।बाँस का प्रकृतिक गुण मीठा ,रूखा भारी, कड़वा, तीखा, और एसिडिक होता है।बाँस विश्व में सबसे ज्यादा एक दिन में बढ़ने वाला पौधा है।यह एक दिन में लगभग 60 cm तक बढ़ता है।बांस में पोटैशियम, कैल्शियम, मैंग्नीज, जिंक, क्रोमियम, कॉपर, आयरन, थियामिन, नियासिन, विटामिन ए, विटामिन बी6 और विटामिन ई पाया जाता है। बाँस की लगभग 1400 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती है।इसमें स्वर्ण वंश या पीला बाँस को आयुवेर्दिक उपयोग में लाया जाता है।
बाँस की तासीर ठंडी होती है।
बाँस को किस प्रकार से प्रयोग में लाएं - how to use bamboo
बाँस को प्रयोग करने की विधि
- बाँस को उपयोग करने के पहले बाँस की कोंपलों को छीलकर गर्म पानी करके लगभग 20 मिनट तक उबलते रहे।इसके बाद यह खाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
- ताजे बाँस की कोंपलों को घिसकर या बारीक-बारीक काटकर अन्य सब्जियों और लहसुन, अदरक, लेमनग्रास के साथ पकाकर खाने के लिए उपयोग में ला सकते हैं।
- बाँस की कोंपलों को उबालकर कर स्लाइस में काट लें ,इसके बाद उस पर मक्खन और चीज डालकर उसे बेक कर लें और साइड डिश के तौर पर मीट या मछली के साथ खाएं।
- बांस का मुरब्बा भी बनता है, बांस की कोपल का अचार भी बनाया जाता है ,बांस की पत्तियों का काढ़ा बनाकर भी उपयोग में लाया जाता है।
बाँस मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद - Bamboo is beneficial for diabetics
वात और कफ के दोष के असन्तुलन के कारण मधुमेह रोग की उतपत्ति होती है।बाँस मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।क्योंकि बाँस में फेनोलिक एसिड फ्लेवनॉयड्स की तरह एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं जिससे अग्न्याशय में उपस्थित कोशिकाओं की नष्ट होने की प्रक्रिया को रोकते हैं और इंसुलिन के बहाव को गति देते हैं।इस प्रक्रिया से मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।इसलिये बाँस की कोंपलों के सेवन करने से मधुमेह रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
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बाँस मूत्र सम्बंधित समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोगी - Bamboo is useful for removing urine related problems
बाँस मूत्र रोग में फायदेमंद हो सकता है।मूत्र रोग में वंश की जड़, और वंशाकुर का 2:1के अनुपात में बना कर पीने से बिंदुमूत्र कृच्छ रोग में फायदेमंद साबित होता है।इसके अतिरिक्त मिश्री, वंशलोचन और गोखरू के मिश्रण को प्रतिदिन 2-4 ग्राम कच्चे दूध के साथ खाने से मूत्र के जलन रोग में लाभदायक होता है।
बाँस मासिकधर्म की समस्याओं में लाभदायक - Bamboo is beneficial in menstrual problems
बाँस मासिक धर्म की समस्या में लाभकारी सिद्ध होता है।इसके लिए वंशपत्र 25 ग्राम और सोआ (शतपुष्पा) 50 ग्राम,और गुड़ का काढ़ा बनाकर पीने से मासिक धर्म की सभी समस्याओं में लाभदायक सिद्ध होता है।
बाँस त्वचा रोग में लाभकारी - Bamboo is beneficial in skin diseases
बाँस त्वचा रोगियों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।त्वचा रोग में वंश की जड़ और पत्ते को पीसकर पेस्ट बनाएं।अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगायें। इससे त्वचा विकारों, दाद खाज, खुजली, और कुष्ठ रोगियों के लिए लाभकारी होता है।बाँस त्वचा को लचीलापन बनाये रखने के लिए भी उपयोगी साबित होता है।बाँस में एन्टी इंफ्लेमेटरी और एन्टी वैक्टीरियल गुण पाया जाता है।बाँस में अमीनो एसिड और कुछ खनिज पदार्थों की उपस्थिति के कारण त्वचा को मजबूती भी प्रदान करता है।बाँस का सिरका भी त्वचा के लिए बहुत ही उपयोगी माना जाता है।
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बाँस अल्सर रोग में लाभदायक - Beneficial in bamboo ulcer disease
बाँस अल्सर रोग में लाभकारी होता है।अल्सर रोग में बाँस का लाभ लेने के लिए इसकी पत्तियों का सेवन कर सकते हैं।या इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन कर सकते हैं।या अल्सर से प्रभावित भाग को बाँस की पत्तियों से बने काढ़े से धो सकते हैं।
बाँस सूजन को कम करने के लिए लाभकारी - Bamboo is beneficial for reducing inflammation
बाँस सूजन को कम करने के लिए उपयोगी साबित होता है।इसके लिए बाँस की नई कोपलों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें।इस पेस्ट को सूजन वाली जगहों पर लगाने से सूजन में लाभ होता है ।
बाँस कान दर्द को दूर करने के लिए उपयोगी - Bamboo useful to relieve ear pain
बाँस कान दर्द को दूर करने के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।इसके लिए बाँस की कल्क को तेल में गर्म करके पका लें।इसके बाद इसे छानकर शीशी या साफ बर्तन में रख दें अब इसे कान में 1-2 बूंद डालने से कान दर्द में आराम मिलता है।इसके अलावा लहसुन, अंकोल का फल, चौलाई की जड़,बाँस का कल्क ,अदरक इन सभी तत्वों को तेल में उबालकर छान लें।इसे कान में 2 -2 बूंद डालने से कान दर्द में राहत मिलती है।इस प्रकार ठंड या गर्मी(सर्दी खांसी) के कारण कान दर्द या किसी रोग (बीमारी) के साइड इफेक्ट के कारण कान दर्द को ठीक किया जा सकता है।
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बाँस मुँह के छाले ठीक करने के लिए फायदेमंद - Bamboo is beneficial for curing mouth ulcers
बाँसमुँह के छालों को दूर करने के लिए उपयोगी होता सकता है।इसके लिए बाँस के कल्क या बंसलोचन या बाँस की कोपलों का पेस्ट बनाकर इसमें शहद मिला लें।अब दोनों के मिश्रण से बने पेस्ट को मुँह में लगाने से आराम मिलता है।
बाँस बुखार दूर करने के लिए लाभदायक - Beneficial to cure bamboo fever
बाँस बुखार में लाभदायक सिद्ध हो सकता है।इनके लिए बंसलोचन या बाँस की कोपलों तथा गिलोयसत का चूर्ण बनाकर इसमें शहद मिलाकर चाटने से बुखार में फायदेमंद रहता हैं।
बाँस शरीर की शीतलता के लिए लाभकारी - Bamboo is beneficial for the coolness of the body
बाँस शरीर की शीतलता के लिए लाभदायक होता है क्योंकि बाँस की तासीर ठंडी होती है।सामान्यतः मोनोपॉज के समय में शरीर में बेचैनी सा होने लगता है।इस समस्या को कम करने के लिए बाँस का उपयोग कर सकते हैं।
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बाँस सूखी खांसी से राहत के लिए फायदेमंद - Bamboo is beneficial for relieving dry cough
बाँस सूखी खाँसी को दूर करने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है इसके लिए बाँस की कोंपलों का चूर्ण बनाकर शहद के साथ लेने से सूखा हुआ कफ बहर निकलता है और सूखी खांसी में आराम पहुंचा है।
बाँस दस्त को रोकने के लिए उपयोगी - Bamboo useful to stop diarrhea
बाँस दस्त को दूर करने के लिए फायदेमंद साबित होता है इसके लिए बाँस के पत्तों या तना का काढ़ा बनाकर थोड़ा थोड़ा पीने से दस्त रोग में लाभ मिलता है।
बाँस बवासीर रोग से लाभदायक - Bamboo is beneficial for piles disease
बाँस बवासीर रोग में भी लाभकारी सिद्ध होता है।बाँस के पत्तों का काढ़ा बनाकर बवासीर के मस्सों को धोने से बवासीर का दर्द कम हो कर आराम मिलता है।
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बाँस हृदय रोग में लाभकारी - Bamboo is beneficial in heart disease
बाँस हृदय रोग में लाभदायक हो सकता है क्योंकि बाँस की कोंपलों या बम्बू शूट्स में क्लोरीन की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक पायी जाती है। इसलिए बम्बू शूट्स के सेवन से धमनियों में होने वाली रुकावट कम होने का चान्स बढ़ जाता है।
बाँस (आधा सिर दर्द) माइग्रेन में फायदेमंद - Bamboo Beneficial in migraine (half headache)
बाँस माइग्रेन में उपयोगी साबित होता है।इसके लिए बम्बू शूट्स के जड़ का रस 10 ml निकालकर 500 mg कपूर मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें, अब इस मिश्रण से एक या दो बूंद नाक में डालने से माइग्रेन से राहत मिलती है।
बाँस रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोगी - Bamboo is useful for increasing immunity
बाँस रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए फायदेमंद साबित होता है क्योंकि बाँस की कोपलों में या बम्बू शूट्स में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन्स और मिनरल्स का भंडार पाया जाता है।जिससे बाँस की कोंपलों के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। और व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित होता है।
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बाँस कोलेस्ट्रॉल के लिए लाभदायक - Bamboo is beneficial for cholesterol
बाँस कोलेस्ट्रॉल के लिए लाभकारी होता है।क्योंकि बंसलोचन में फाइबर की भरपूर मात्रा पायी जाती है,और कैलोरी की बहुत ही कम मात्रा पायी जाती है।इस लिए यह खराब कोलेस्ट्रोल को दूर करने के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।
बाँस भूख बढ़ाने के लिए उपयोगी - Bamboo is useful for increasing appetite
बाँस भूख बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि बाँस में सेलुलोज की सांद्रता अधिक होती है जो भूख बढ़ाने, कब्ज रोकने,पाचन में सुधार के लिए फायदेमंद होता है।ताजा बाँस की कोंपलों को खाने से भूख न लगने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
बाँस श्वास सम्बंधित समस्या को दूर करने के लिए फायदेमंद - Bamboo is beneficial to remove breathing related problems
बाँस श्वास सम्बंधित समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है क्योंकि बाँस की कोपलों में एन्टी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। जो श्वास तंत्र की सूजन और श्वास रोग से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं में फायदेमंद साबित होता है।
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बाँस के नुकसान - disadvantages of bamboo
धरती (पृथ्वी) पर उपस्थित सभी वस्तुओं का फायदे के साथ साथ नुकसान भी है।इसलिए बाँस के फायदे के साथ साथ नुकसान का भी जानना जरूरी है।या कहे की किसी खाने की वस्तु को ज्यादा मात्रा में सेवन करना भी नुकसान दायक हो सकता है।तो चलिए बाँस खाने के नुकसान के बारे में चर्चा करते है।
- बाँस का सेवन थायरॉइड की समस्या वाले व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।
- बाँस का सेवन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
- बाँस का सेवन स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी नहीं करना चाहिए।
- बाँस का सेवन किसी विशेष प्रकार की दवाई का सेवन करने वाले व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।या चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
- बाँस का सेवन ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए।
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नोट -
बाँस खाने के फायदे और नुकसान का यह लेख आप लोगों को कैसा लगा कमेन्ट करके अपनी राय दे सकते है।
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