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विश्वकर्मा पूजा 2025/vishvakarma pooja 2025

इस वर्ष बाबा विश्वकर्मा का पूजा 17 सितंबर 2025 को दिन बुधवार के अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा।17 सितम्बर के दिन ही इंदिरा एकादशी कन्या संक्रान्ति और विश्वकर्मा पूजा के अनुसार ग्रह नक्षत्रों की स्थिति हर समय हर दिन अपना अलग प्रभाव डालते हैं।कुछ दिन और कुछ पर्व ऐसे भी है जो नियत तिथि पर मनाये जाते हैं।इन्हीं पर्वो में है बाबा विश्वकर्मा की पूजा अर्चना हैं।जो पूरे देश और विदेशों में बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।खासकर कारीगरों, मजदूरों और निर्माण कार्य से जुड़े लोगों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। बाबा विश्वकर्मा भगवान ब्रह्मा जी के7 वें पुत्र हैं और इन्होंने ब्रह्माण्ड की रचना में भगवान ब्रह्मा जी की सहायता किये थे। 

Vishvakarma pooja 2025,Vishvakarma pooja 2025 in hindiबाबा विश्वकर्मा पूजा 2025

इसके साथ साथ इन्होनें स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था। श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और भोलेनाथ के लिए त्रिशूल भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। इसके साथ ही सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेता की लंका और द्वापर युग की द्वारका की रचना भी भगवान विश्वकर्मा ने ही की थी। सनातन धर्म में वर्णित पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में भगवान विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और सबसे बड़ा शिल्पकार  (इंजीनियर) कहा जाता है।इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। तो दोस्तों आइए जानते है विश्वकर्मा पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी...

विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त -Auspicious time for worship

17 सितंबर 2025 दिन बुधवार को सुबह 1:54  मिनट सूर्य देवता के कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।17 सितंबर को पुण्य काल सुबह 5:36 से दोपहर11:44 तक तथा महापुण्य काल 5:36 से 7:39 तक रहेगा।इस समय के बीच में कभी भी बाबा विश्वकर्मा की पूजा अर्चना कर सकते हैं।

विश्वकर्मा की पूजा के लिए ज़रूरी सामग्री लिस्ट- List of Material Required for Worship of Vishwakarma

विश्वकर्मा की पूजा के लिए रोली,अक्षय (साबुत चावल),पीला अष्टगंध चंदन, लाल सिंदूर, पीला सिंदूर, हल्दी, बड़ी सुपारी, हल्दी (साबुत), इत्र, सूखा गोला नारियल, जटादार पानी वाला नारियल, , , रुई की बत्ती, कपूर, देसी घी, कलावा, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, बताशा या मिश्री, पीला कपड़ा, लकड़ी की चौकी, दोना, , मिट्टी की दियाली, हवन कुण्ड, माचिस, आम की लकड़ी, नवग्रह समिधा आदि। अक्षय साबुत चावल अश्वगंधा पीला अश्वगंधा  मिट्टी का कलश  लाल और पीला वस्त्र मिठाई जनेऊ धूपबत्ती,रुई की बत्ती, कपूर, घी, हवन सामग्री, हवन कुंड, दही,फल,फूल, आम की लकड़ी, खीरा, लौंग, इलायची, लकड़ी आदि।

विश्विकर्मा पूजा विधि- Vishwakarma worship method

  • सुबह उठकर स्नानादि कर पवित्र हो जाएं। फिर पूजन स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें ।

  • एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं ।

  • पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं।

  • भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें। फिर चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या फोटो लगाएं ।

  • एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें। भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाएं ।

  • स्नान कर विश्वकर्मा पूजा की सामग्रियों को एकत्रित कर लें।

  • इसके बाद परिवार के साथ इस पूजा को शुरू करें ।

  • अगर पति-पत्नी इस पूजा को एक साथ करते हैं तो और भी अच्छा है ।

  • पूजा के हाथ में चावल लें और भगवान विश्वकर्मा का ध्यान लगायें ।

  • इस बीच भगवान विश्वकर्मा को सफेद फूल अर्पित करें ।

  • इसके बाद धूप, दीप, पुष्प अर्पित करते हुए हवन कुंड में आहुति दें ।

  • इस दौरान अपनी मशीनों और औजारों की भी पूजा करें ।

  • फिर भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाकर प्रसाद सभी को बांट दें ।

  • विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका स्मरण करें। साथ ही प्रार्थना करें कि वे आपके नौकरी-व्यापार में तरक्की करवाएं ।

विश्वकर्मा जी के मंत्र का 108 बार जप करें ।फिर श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें ।आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई का भोग लगाएं ।इस भोग को सभी लोगों में बांटें।

हवन सामग्री - incense burner

हवन कुंड, तिल, गुड़, जौ, कमलगट्टा, शहद, पंचमेवा, ऋतु फल, दही, फूल, दूब घास, तुलसी की पत्ते, फूलों की माला, दूध, प्रसाद के लिए मिठाई

विश्वकर्मा पूजा मंत्र - Vishwakarma Puja Mantra

ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।भक्ति और ईमानदारी के साथ जप करना चाहिए।

कुछ बातों का खास ख्याल रखे - take care of some things

1. विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्री बंद रखनी चाहिए।
2. विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है।
3. विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
4. विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. अपने रोजगार में वृद्धि के लिए गरीबों असहाय लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें।
6. अपने बिजली उपकरणों,मशीनों, गाड़ी की साफ सफाई भी करें।

भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि 

  1. भगवान विश्वकर्मा द्वारा सभी देवी और देवताओं के शस्त्र, मंदिर, भवन का निर्माण किया गया।इसलिए इस दिन निर्माण कार्य से सम्बंधित सभी संस्थान विश्वकर्मा भगवान की पूजा के बाद बंद कर दिये जाते है।
  2. भगवान विश्वकर्मा समारोह के दिन सूर्योदय से पूर्व उठाना चाहिए।और स्नान ध्यान करके पूजा स्थल पर जाना चाहिए।पूजा स्थान को फूल मालाओं से सजना चाहिए ।जहां भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या फोटो रखना है वहाँ गंगा जल का छिड़काव करें।रंगोली का भी सजावट करनी चाहिए।
  3. भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या फोटो मुख्य स्थान पर रखते समय हाथ में अक्षत लेकर ओम भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव मंत्र का उच्चारण करते हुए स्थापित करना चाहिए।
  4. भगवान विश्वकर्मा की पूजा में रोली, हल्दी, अक्षत,, फूल, सुपारी, पान, लौंग, कलावा, जनेऊ, फल ,मिठाई अर्पित करना चाहिए। धूप दीप प्रज्वलित करना चाहिए।
  5. निर्माण कार्य से जुड़े सभी उपकरणों औजार, मशीनों, पर तिलक लगाकर पूजा अर्चना करना चाहिए।इसके बाद हाथ में अक्षत और फूल लेकर सभी मशीनों और औजारों पर चढ़ाते हुए ओम श्री सृष्टितनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  6. देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा से सदैव कार्य में प्रगति और निर्बाध आगे बढने की प्रार्थना करनी चाहिए।इसके बाद आरती करनी चाहिए।फिर समारोह में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद वितरितकरना चाहिए।

भगवान विश्वकर्मा जयन्ती का महत्व -

विश्वकर्मा जयन्ती का दिन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण दिन है।यह दिन विश्वकर्मा भगवान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी पाया जाता है। कार्यकर्ता समुदाय इस पर्व को धूमधाम और मस्ती के साथ मानते हैं।

भगवान विश्वकर्मा की आरती -

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा।।

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया।।

ऋषि अंगिरा ने तप से, शान्ति नहीं पायी।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई।।

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुख किना ।।

जब रथकार दम्पति, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी।।

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुभुर्ज, दशभुज, सकल रुप साजे।।

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शान्ति पावै।।

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावै।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै।।

नोट

बाबा विश्वकर्मा पूजा समय, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती, और अन्य सावधानी का यह लेख आप लोगों को कैसा लगा कमेंट करके अपनी राय दे सकते हैं, और यदि कोई सुझाव भी देना चाहते हैं तो कमेंट कर सकते हैं ।


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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