मदार का वैज्ञानिक नाम कैलोत्रोपिस गिगंटी (calotropis gigantea) है।मदार को अकवन या आक के नाम से भी जाना जाता है।अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं,और इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है। मदार के पौधे को औषधि पौधा के रूप में जाना जाता है। और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में भी जाना जाता है।
मदार के फायदे |
यह पौधा बंजर जमीन या खुले अथवा शुष्क क्षेत्र में अपने आप उग जाता है। मदार का पौधा गर्म जलवायु शुष्क और रेतीली मिट्टी में स्वत उत्पन्न हो जाता है। मदार की दो प्रमुख किस्में पाई जाती हैं। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता है। यह पौधा अपने आप ही कहीं पर भी कैसी भी जगह उग जाता है किन्तु यह पौधा अपने आप में औषधीय गुणों से लबरेज है। यह आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है। भारत देश में मदार की दो किस्में (प्रजातियां) पाई जाती हैं।कैलोट्रोपिस प्रोसेरा(बैंगनी रंग का फूल),कैलोट्रोपिस जिगांटे (सफेद रंग का फूल) ,1-श्वेतार्क और 2-रक्तार्क। श्वेतार्क के फूल सफेद होते हैं जबकि रक्तार्क के फूल गुलाबी आभा के साथ लिए होते हैं। इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके फूल में मुकुट/ताज के समान आकृति होती है। इसके पौधे लंबी झाड़ियों की श्रेणी में आते हैं और 3-4 मीटर तक लम्बे होते हैं। इसके पत्ते मांसल और मखमली होते हैं। मदार का फल देखने में आम के जैसे लगता है, लेकिन इसके अंदर रुई होती है, जिसका इस्तेमाल तकिये या गद्दे भरने में किया जाता है। इसमें फूल दिसंबर-जनवरी महीने में आते हैं और अप्रैल-मई तक लगते रहते हैं।
मदार के फायदे - Benefits of Madar
मदार के फायदे के लेख मैं मैं आपका स्वागत है मदर के सफेद फूलों को औषधि के रूप में अधिक उपयोग किया जाता है। मदार के पौधे के दूध में गर्भपात कारक, स्पाज्मोजेनिक और कारमेटिव, एंटी-डिसेन्ट्रिक, एंटी-सिफिलिटिक, एंटी-रूमेटिक, एंटीफंगल और डायफोरेटिक गुण होते हैं। इसके अलावा यह कुष्ठ रोग, ब्रोन्कियल अस्थमा और त्वचा रोगों के उपचार में भी उपयोगी है। इसकी जड़ की छाल के चूर्ण का उपयोगदस्त और पेचिश में किया जाता है। इस पौधे की जड़ अपच में भी उपयोगी है। मदर प्रमुख रूप से भारत में पाया जाता है । परंतु यहां यह मदार का पौधा दक्षिण और पूर्व एशिया अफ्रीका में भी पाया जाता है। मदार के फूल को थाईलैंड में विराज सिंह गौरव के प्रति प्रतीक माना जाता है मदार के फूल को थाईलैंड में विभिन्न शुभ अवसरों पर सजावट के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। थाईलैंड की ईस्ट देवी हवाई की रानी लिलीउओकलानी को मदार के फूलों का हार पहनना बहुत ही पसंद है।कुछ देशों जैसे कम्बोडिया में इसे अंतिम संस्कार में कलश और ताबूत पर चढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।मदार का फूल भगवान शिव को भी बहुत ही पसंद है। समाज में स्थिरता समृद्धि और शांति के लिए भगवान शिव को मदार का फूल चढ़ाया जाता है। गणेश भगवान की पूजा में भी मदार के पत्ते का उपयोग किया जाता है। प्राचीन काल में मदार की छाल का उपयोग धनुष की प्रत्यंचा रस्सी चटाई मछली पकड़ने की जाल जैसे आने को साधन बनाने के लिए उपयोग किया जाता था।
मदार के औषधीय गुण - Medicinal properties of madar
मदार को एक जहरीला पौधा के रूप में जाना और माना जाता है, कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन यह कई रोगों के उपचार में भी कारगर है। मदार देश का एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्से कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर साबित हुए हैं। इनमें दर्द सहित मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मदार के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययन भी करते हैं। मदार का दूध बहते हुए खून को नियंत्रित करने में उपयोगी है। मदार का कच्चा दूध कई प्रकार के प्रोटीन से लबरेज हैं, जो प्रकृति में बुनियादी रूप में मौजूद होते हैं।
मदार के पत्ते जोड़ों के दर्द और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। मदार का रस दस्त रोकने में भी उपयोगी है।मदार के पौधे के विभिन्न हिस्सों को लगभग सौ से भी अधिक बीमारियों के उपचार में कारगर माना गया है। बिच्छू के डंक मार देने की स्थिति में भी मदार का दूध डंक वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है। हालांकि मदार का दूध आंखों के संपर्क में आ जाए तो यह मनुष्य को अंधा भी बना सकता है। इसलिए मदार का औषधीय तौर पर इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
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मदार के फायदे त्वचा की समस्या के लिए - Benefits of Madar for skin problems
मदार के फायदे त्वचा की समस्याओं के लिए भी उपयोगी होता है इसके लिए मदार के दूध का उपयोग किया जाता है। चेहरे के दाग धब्बों का समाधान करने के लिए, 3 ग्राम हल्दी को मदार के पौधे के दूध के साथ मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाएं। इसके इससे खुजली से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों का इलाज इससे हो सकता है।
मदार के फायदे बवासीर रोग में - Benefits of madar in piles disease
मदार का उपयोग बवासीर रोग को दूर करने के लिए भी किया जाता है।यदि कोई व्यक्ति बवासीर की समस्या से पीड़ित हैं तो पीड़ित व्यक्ति को मदार का उपयोग करना चाहिए। बवासीर का इलाज करने के लिए, इस जड़ी बूटी का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। इलाज के तौर पर बाहरी रूप से मदार के दूध को बवासीर के ऊपर लगाएं।
मदार के फायदे घाव में - Benefits of madar in wounds
मदार का उपयोग घाव को ठीक करने मैं भी किया जाता है इसके लिए मदार के पौधे का दूध निकाल कर एक छोटे पात्र या बर्तन में रखें। अब मदार के इस दूध में हल्दी को मिक्स करके पेस्ट तैयार कर लें। और घाव से प्रभावित क्षेत्र पर इस पेस्ट को लगाएं।इस पेस्ट से घाव से जल्दी आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त आप घावों पर मदार की पत्तियों को गरम करके भी उपयोग में ला सकते हैं।इससे भी आराम मिलता है।
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मदार के फायदे दाँत की समस्या दूर करने के लिए - Benefits of Madar to remove dental problems
मदार के फायदे दांत की समस्या को दूर करने के लिए लाभकारी होता है। इसके लिए मदार के दूध का उपयोग किया जाता है। मदार के दूध को रुई में भरकर समस्या वाली जगह यानी कि जिस जगह पर दांत दर्द कर रहा है, वहां पर मसूड़े और दांत पर लगाना चाहिए। इससे दांत दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है ।
मदार के फायदे पैर के छालों को दूर करने के लिए - Benefits of Madar to remove foot ulcers
यदि पैर में छाले हों तो आक के पौधे के रस का उपयोग करें। पैर के छालों को ठीक करने के करने लिए छालों के ऊपर आक का दूध लगाएं। इससे तुरंत राहत मिलेगी।
मदार के फायदे हैजा की समस्या दूर करने के लिए - Benefits of Madar to overcome the problem of cholera
हैजा के इलाज के लिए इस पौधे की जड़ की छाल को अच्छे से साफ करें। इन्हें सुखाकर इसका चूर्ण तैयार करें। अब इसमें अदरक का रस और काली मिर्च का चूर्ण मिला करें। इस मिश्रण से मटर के आकार की गोलियों बनाएं। और हर दो घंटे बाद एक गोली, एक चम्मच पुदीना के रस के साथ लें। इससे बुखार भी ठीक होगा।
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मदार के फायदे कान के रोगों के लिए उपयोगी - Benefits of Madar Useful for ear diseases
पीले रंग की आक की पत्तियों को अच्छी तरह धोकर सुखा लें और इसका चौथाई कप रस निकाल लें। अब इसमें एक चौथाई कप तिल का तेल मिलाएं। इसमें चौथाई चम्मच लहसुन, कैलामस दालचीनी और हींग भी मिलाएं। कम आंच पर अच्छे से पका लें। अब ठंडा होने के बाद एक बोतल में रख लें। अब इस मिश्रण की कुछ बूंदें कान में डालें। इससे कान की तकलीफ कम होने लगेगी।
इसके अलावा आक की पत्तियों पर घी लगाकर गरम
मदार के नुकसान - madar ke nuksan
आक का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक है।
- इसमें कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो हृदय को प्रभावित कर सकते हैं।
- इससे उल्टी आ सकती है या दस्त लग सकते हैं।
- हृदय की धड़कन धीमी हो सकती है, चक्कर आ सकता है और विशेष परिस्थितियों में मृत्यु तक हो सकती है।
- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान भी इसके सेवन से बचें।
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