महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी।महाशिवरात्रि का दिन भोलेनाथ के भक्तों के लिए काफी खास माना जाता है। जब वो सबकुछ छोड़कर भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाते हैं। पुराणों में देखने को मिलता है कि शिव शंकर ने कई राक्षसों का संहार किया है वो काफी गुस्सैल हैं।लेकिन, गुस्सैल होने के साथ-साथ जटाधारी भी हैं।जिसके चलते उन्हें 'भोलेनाथ' नाम दिया गया है। ऐसे में कहा जाता है कि अगर आप अपना मन साफ रखकर भगवान शिव की भक्ति करते हैं तो आपको उसका लाभ जरूर मिलता है।Mahashivratri festival 2022
महाशिवरात्रि शिवजी का महापर्व है।यह पर्व शिव विवाह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। अनजाने में किसी प्राणी मात्र द्वारा एक बेलपत्र भी शिवलिंग पर चढ़ जाए तो जन्मों जन्म के पापों को नीलेश्वर हर लेते हैं । इस जीवन को समृद्ध बनाकर अंत समय में मोक्ष प्रदान करते हैं।
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का कारण -
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। साथ ही उन्होंने कई व्रत रखे थे। एक बार भगवान शिव बेलपत्र वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे थे। माता पार्वती जब शिव जी की पूजा के लिए सामग्री लाना भूल गईं तो उन्होंने भगवान शिव को बेलपत्र से ढक दिया। इससे भोलेनाथ बहुत अधिक प्रसन्न हुए, और तब से ही भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें। चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें। शिव जी के सामने दीप और कर्पूर जलाएं और खीर का भोग लगाएं।
महाशिवरात्रि के दिन जरूर करें ये काम
एक मार्च 2022 दिन मंगलवार को विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "उँ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।
चार प्रहर पूजन अभिषेक विधान
प्रथम प्रहर- सायं 6:00 से रात्रि 9:00 बजे तक
द्वितीय प्रहर- रात्रि 9:00 से रात्रि 12:00 बजे तक
तृतीय प्रहर- रात्रि 12:00 से रात्रि 3:00 बजे तक
चतुर्थ प्रहर- रात्रि 3:00 से प्रातः 6:00 बजे तक
महाशिवरात्रि व्रत संकल्प
व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि- नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए। महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है।
पंचग्रही योग में पूजा से पूरी होगी मनोकामना
महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है। इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा। यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और विशेष लाभकारी हैं।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
फाल्गुल मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली महाशिवारात्रि का पूजा मुहूर्त
1 मार्च सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त ।
दोपहर 02:07 से 02:53 तक विजय मुहूर्त ।
शाम 05:48 से 06:12 तक गोधूलि मुहूर्त होगा ।
पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्ठ माना गया है।
शिव चालीसा -
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
पंचाक्षरी शिव मंत्र
ॐ नम: शिवाय।।
नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय।।
भगवान शिव के इस मंत्र का आपको 108 बार जाप करना चाहिए। इससे आपको शांति, संतुष्टि मिलेगी।
महा मृत्युन्जय मंत्र
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि-वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
इस मंत्र का उच्चारण किसी अनहोनी की आशंका होने पर किया जाता है। जिससे मृत्यु के भय से मुक्ति मिले।
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रुद्राय।।
रूद्र मंत्र का जाप करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही शिव शंकर का आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है।
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।।
इस मंत्र के उच्चारण से आपके मन को शांति ज्ञान का प्रकाश मिलेगा।
दारिद्र्य दहन स्तोत्रम
वशिष्ठेन कृतं स्तोत्रम सर्वरोग निवारणं, सर्वसंपर्काराम शीघ्रम पुत्रपौत्रादिवर्धनम।।
इस मंत्र के जाप से आपको रोगों से मुक्ति मिलेगी धन की प्राप्ति के साथ भविष्य उज्जवल होगा।
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