रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का पवित्र त्योहार माना जाता है।सावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष(2021)ये त्योहार 22 अगस्त यानी रविवार को है। हर साल सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर बहन भाई की कलाई में राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन भी देता है।
रक्षाबंधन पर्व |
इस पर्व की शुरूआत कैसे हुई, इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। रक्षाबंधन की एक कथा वामन अवतार से जुड़ी है। इसके अलावा एक कथा भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से संबंधित है। वहीं एक अन्य कथा देवराज और उनकी पत्नी शचि के बारे में भी मिलती है।
देवराज इंद्र और उनकी पत्नी शची की कथा -Story of Devraj Indra and his wife shachi
एक बार देवता और दानवों में 12 वर्षों तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुए। तब इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु बृहस्पति ने कहा कि युद्ध रोक देना चाहिए। तब उनकी बात सुनकर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने कहा कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं रक्षा सूत्र तैयार करूंगी। जिसके प्रभाव से इनकी रक्षा होगी और यह विजयी होंगे। इंद्राणी द्वारा व्रत कर तैयार किए गए रक्षा सूत्र को इंद्र ने मंत्रों के साथ ब्राह्मण से बंधवाया। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र के साथ समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।भगवान विष्णु के वामनदेव अवतार की कथा - Story of Vamanadeva Avatar of Lord Vishnu
वामनदेव ने अपना आकार बढ़ाकर एक पग में पृथ्वी और दूसरे में ब्राह्मांड नाप लिया। वामनदेव ने बलि से पूछा कि अब मैं तीसरा पैर कहां रखूं? तब बलि ने तीसरा पैर रखने के लिए अपना सिर आगे कर दिया। बलि के सिर पर पैर रखने से वह पाताल लोक पहुंच गया। प्रसन्न होकर वामनदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।
राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप हमेशा मेरे साथ पाताल में रहें। भगवान ने ये बात मान ली।जब ये बात देवी महालक्ष्मी को पता चली तो वे पाताल गईं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसे भाई बना लिया। इसके बाद बलि ने देवी से उपहार मांगने के लिए कहा, तब लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मांग लिया। राजा बलि ने अपनी बहन लक्ष्मी की बात मान ली और विष्णुजी को लौटा दिया।
श्री कृष्ण की कथा - story of shri krishna
महाभारत काल में युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। यज्ञ में श्रीकृष्ण को मुख्य अतिथि बनाया गया। ये देखकर शिशुपाल आगबबूला हो गया और श्रीकृष्ण को अपमानित करने लगा। श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की मां को वरदान दिया था कि वे शिशुपाल की सौ गलतियां माफ करेंगे। जैसे ही शिशुपाल की सौ गलतियां पूरी हो गईं, श्रीकृष्ण ने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब सुदर्शन चक्र वापस श्रीकृष्ण की उंगली पर आया तो उनकी उंगली पर चोट लग गई, जिससे खून बहने लगा, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ा और श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। उस समय श्रीकृष्ण ने वरदान दिया था कि वे द्रौपदी की इस पट्टी के एक-एक धागे का ऋण जरूर उतारेंगे। जब युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को हार गए और दु:शासन ने भरी सभा में द्रौपदी के वस्त्रों का हरण करने की कोशिश की, उस समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी लंबी करके उसकी लाज बचाई थी। इस कथा को भी रक्षासूत्र से जोड़कर देखा जाता है। अगर हम अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र अर्पित करते हैं तो उनकी कृपा जरूर मिलती है।
यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम को समर्पित है. इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा नहीं है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना के लिए रक्षा सूत्र बांधती हैं और आरती उतारती है। फिर माथे पर तिलक लगाती है और मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है। इसके बाद भाई अपनी बहन को तोहफा देते हैं आइए जानते है राखी बांधने के दौरान किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा और राहु काल का रखें ध्यान -Keep in mind Bhadra and Rahu period on Rakshabandhan festival
भाई की कलाई में राखी बाधते समय मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन भद्रा और राहुकाल में भूलकर भी भाई की कलाई में राखी नहीं बांधनी चाहिए । ये दोनों ही समय अशुभ माने जाते हैं। भद्रा और राहुकाल में किए गए कार्य में सफलता नहीं मिलती है।
टूट अक्षत का प्रयोग न करें - Do not use broken intact
शास्त्रों के अनुसार, भाई के माथे पर अक्षत और रोली का तिलक लगाया जाता है। भाई को तिलक के समय अक्षत् लगाने के लिए खड़े चावल का प्रयोग करें, टूटे चावल का प्रयोग भूल से भी न करें। अक्षत् का अर्थ ही होता है जिसकी कोई क्षति न हो।
रक्षाबंधन पर्व पर बहन को ऐसा उपहार न दें -Do not give such a gift to sister on Rakshabandhan festival
रक्षाबंधन पर्व पर भाई अपनी बहन को उपहार के रूप में रूमाल, तौलिया धारदार हथियार, नुकीली चीज, दर्पण, फोटोफ्रेम जैसे गिफ्ट नहीं देना चाहिए।
टूटी फूटी राखियों का प्रयोग न करें -Do not use broken rakhis
रक्षाबंधन पूजा विधि -Rakshabandhan worship method
राखी के दिन सुबह स्नान कर देवताओं को जल दें। इसके बाद अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करें। फिर एक थाली में राखी, अक्षत और रोली, दीपक रखें। सबसे पहले राखी की थाल को पूजा स्थान पर रखें और पहली राखी बाल गोपाल या फिर अपने ईष्ट देवता का चढ़ाएं।
रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधनें की विधि - Method of tying Rakhi on the festival of Rakshabandhan
थाली में रोली, चंदन, अक्षथ, रक्षासूत्र और दही रखें
घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें
रक्षा सूत्र और पूजा की थाली सबसे पहले भगवान को समर्पित करें
इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं
पहले भाई के तिलक लगाएं, फिर राखी बांधे और आरती करें
इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें
रक्षासूत्र बांधने के समय भाई और बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए
पूजा सामग्री -Worship material
राखी: रक्षाबंधन के दिन बहनों को चाहिए कि पूजा की थाली में राखी अवश्य रखें।
रोली या हल्दी पाउडर: राखी बांधते समय बहनें सबसे पहले भाइयों को तिलक लगाती हैं।
अक्षत: तिलक लगाने के बाद माथे पर चावल भी लगाया जाता है।
आरती के लिए दीपक: रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों की आरती भी उतराती हैं।
मिठाई: रक्षाबंधन के पावन पर्व में बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं।
रक्षाबंधन पर्व पर बेहद शुभ संयोग - Very auspicious coincidence on the festival of Rakshabandhan
रक्षा बंधन पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान होंगे। जबकि शुक्र कन्या राशि में होगे। ग्रहों का ऐसा योग बेहद शुभ संयोग बेहद फलदायी रहने वाला है
रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त - Auspicious time to tie Rakhi on the festival of Rakshabandhan
रक्षा बंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए 12 घंटे शुभ मुहूर्त है। शुभ मुहूर्त 22 अगस्त दिन रविवार की सुबह से लेकर शाम 05 बजकर 01 मिनट रहेगा। इस दिन शोभन योग सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक तक रहेगा और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। राखी बांधने के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।
रक्षाबंधन पर्व विशेष |
रक्षाबंधन के दिन इस रंग से बचें -Avoid this color on Rakshabandhan
रक्षाबंधन के दिन व्यक्ति को काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए। यह रंग नकारात्मकता को दर्शाता है। संभव हो तो अपने भाई की राशि के अनुसार राखी के रंग का चयन करें।
रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधते समय दिशा का रखें ध्यान -Keep the direction in mind while tying Rakhi on the festival of Rakshabandhan
रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बहनें इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख दक्षिण दिशा में न हो। बल्कि उनका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
रक्षा बंधन पर भद्राकाल नहीं - No Bhadrakal on Raksha Bandhan
इस वर्ष रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्रा नहीं रहेगी। शाम 05 बजकर 30 मिनट पर राहुकाल लगेगा। इसलिए राहुकाल लगने से पहले पूरेदिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, इसमें भी दोपहर 12 बजे से 01 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा।
रक्षाबंधन पर ये खास योग - This special yoga on Rakshabandhan
इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार शोभन, अमृत और गजेसरी योग में मनेगा। रक्षाबंधन पर इस साल भद्रा का साया और पंचक का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। राखी बांधने के लिए दिनभर शुभ समय रहेगा। रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 22 अगस्त दिन रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र में मनेगा। शोभन, अमृत व गजकेसरी महा योग इस पर्व की शोभा बढ़ाएंगे।
रक्षाबंधन पर्व पर कब से कब तक रहेगा पंचक - How long will the Panchak be on Rakshabandhan festival?
राखी पर इस बार भद्रा का साया भी नहीं रहेगा, लेकिन पंचक दिन में 08 बजकर 35 मिनट से आरम्भ होगा, जिसके कारण बहनें पंचक का ध्यान रखकर उपाय कर भाई को राखी बांध सकेंगी।
रक्षाबंधन धनिष्ठा नक्षत्र में मनेगा - Rakshabandhan will be celebrated in Dhanishta Nakshatra
इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ मनाया जाएगा। शोभन योग भी इस त्योहार को खास बना रहा है। कई सालों बाद इन सब ग्रहों का महासंयोग भी बन रहा है।
रक्षा बंधन पर बन रहा गजकेसरी योग -Gajakesari Yoga is being made on Raksha Bandhan
इस वर्ष रक्षाबंधन पर कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगे। गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षा बंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। गजकेसरी योग से इंसान की महत्वाकांक्षाएं पूरी होती हैं। धन संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है।
रक्षा बंधन पर ग्रह स्थिति - Planetary Position on Raksha Bandhan
इस वर्ष रक्षाबंधन पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान होंगे। जबकि शुक्र कन्या राशि में होगे। ग्रहों का ऐसा योग बेहद शुभ संयोग बेहद फलदायी रहने वाला है।
जानें कैसे बनता है गज केसरी योग - Learn how Gaj Kesari Yoga is formed
कुंडली में जब चंद्रमा और गुरु केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे हों तो गज केसरी योग बनता है। यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है लेकिन अगर कुंडरी में बृहस्पति या चंद्रमा कमजोर हो तो इस योग का लाभ नहीं मिल पाता है।
रक्षाबंधन पर्व पर लिखा गया यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट करके जरूर बताये।
0 comments:
Post a Comment