इस वर्ष मकर संक्रान्ति का त्योहार 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा और यह सूर्य देव (Sun Dev) को समर्पित होती है। इस त्योहार में काले तिल के पकवान बनाए जाते हैं और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्य सभी ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह है और इसे ग्रहों के राजा भी कहते हैं।Makar sankranti 2022
बता दें कि मकर संक्रान्ति सूर्य और शनिदेव (Shani Dev) की एक पौराणिक कथा है।
पौराणिक कथा-
सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव (Shani Dev)को पसंद नहीं करते थे। इसी कारण उन्होंने शनि को उनकी मां छाया से अलग कर दिया। माता और पुत्र को अलग करने के कारण सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप मिला। तब सूर्यदेव के दूसरे बेटे यमराज ने कठोर तप करके उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्त कराया।
रोगमुक्त होने के बाद सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर 'कुंभ' जला दिया। सूर्य देव के इस कदम से शनि और छाया काफी आहत हुए। इसके बाद यमराज (Yamraj) ने सूर्य देव को समझाया। इसके बाद सूर्यदेव का क्रोध शांत हुआ और वे अपने पुत्र शनि और छाया से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे।
वहां जाकर देखा तो सबकुछ जलकर खाक में तब्दील हो चुका था, बस काला तिल (black mole) जस का तस रखा हुआ था। सूर्य के घर पधारने पर शनि ने उनका स्वागत उसी काले तिल से किया। इसके बाद सूर्य ने उन्हें दूसरा घर 'मकर' प्रदान किया। इसके बाद सूर्यदेव ने शनि को कहा कि जब वे उनके नए घर मकर में आएंगे, तो उनका घर फिर से धन और धान्य से भर जाएगा।
साथ ही कहा कि मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) के दिन जो भी काले तिल और गुड़ से सूर्य की पूजा करेगा, उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। उसे सूर्य और शनि दोनों की कृपा प्राप्त होगी और शनि व सूर्य से जुड़े कष्ट दूर हो जाएंगे। इसलिए मकर संक्रान्ति पर काले तिल और गुड़ का खास महत्व माना गया है।
खिचड़ी क्यों बनायीं जाती हैं-
जानकारी दे दें कि मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) को कहीं जगहों पर खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इससे सूर्यदेव और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
खिचड़ी (khichadi) और मकर संक्रान्ति-
पुराणों में बताया जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हुई थी। जब खिलजी ने आक्रमण किया था, तब नाथ योगियों को युद्ध के दौरान भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था और वे भूखे ही लड़ाई के लिए निकल जाते थे। उस समय बाबा गोरखनाथ (Gorakhnath) ने दाल, चावल और सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी। ये झटपट तैयार हो जाती थी और योगियों का पेट भी भर जाता था और ये काफी पौष्टिक भी होती थी।
बाबा गोरखनाथ (Gorakhnath) ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। खिलजी से मुक्त होने के बाद मकर संक्रान्ति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया और उस दिन खिचड़ी का वितरण किया। तब से मकर संक्रान्ति पर खिचड़ी बनाने की प्रथा की शुरुआत हो गई। मकर संक्रान्ति के मौके पर गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी (khichadi) मेला भी लगता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शुभ मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है. इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं. वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक.
ज्योतिष आचार्यों के अनुसार 15 जनवरी से शादियां शुरू होंगी। वर्ष 2022 में शादियों की 90 शुभ लग्ने हैं। सूर्य देव का प्रिय गुड़ और शनिदेव की प्रिय वस्तु काला तिल दान देने से उक्त दोनो ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से विशेष लाभ होता है। आचार्य के अनुसार 14 जनवरी को शाम तक दान का पुण्य मिलेगा। संक्रांति में दान और स्नान का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन श्रवण नक्षत्र में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से वज्र योग बन रहा है। यह खास संयोग कई राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा।
इन पांच राशि वालों के लिए शुभ संयोगः सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन पांच ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा। जिसमें सूर्य, बुध, चंद्रमा गुरु और शनि शामिल हैं। मेष, कर्क, कन्या, तुला, धनु व मीन राशियों को इस योग का मिलेगा शुभ प्रभाव मिलेगा। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि ज्योतिषानुसार कुंडली में सूर्य शनि का दोष वाले श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य की उपासना करनी चाहिए। सूर्य के अच्छे प्रभाव से यश, सरकारी पक्ष और पिता से लाभ ,आत्मविश्वास में वृद्धि , सिर दर्द, आंखों के रोग, हड्डियों के रोग व हृदय रोग से भी आराम मिलेगा। ज्योतिष के सूत्र "20 घटी पूर्वापर..." के अनुसार रात्रि 8:49 से आठ घंटे पहले से ही दान पुण्य और खिचड़ी खाने आदि का शुभ कार्य शुरू हो जाएगा। इस दिन सूर्य देव अपना अयन और राशि दोनों परिवर्तित करते हैं। पिता सूर्य अपने पुत्र की राशि में जाते हैं। साथ ही उत्तरायण भी हो जाते हैं। उत्तरायण का समय उत्तम और शुभ कारी बताया गया है। गंगा पुत्र भीष्म अपना प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण सूर्य की प्रतीक्षा करते रहे थे।
काले तिल के कुछ उपाय -
अत: जीवन में चल रही परेशानियां और दुर्भाग्य दूर भगाने के लिए मकर संक्रांति के दिन काले तिल और गुड़ का दान करना अच्छा माना जाता है। इससे कुंडली के ग्रह दोषों की (Grah Dosh) शांति भी हो जाती है तथा भाग्य चमक उठता है।
यहां पढ़ें काले तिल और गुड़ के 10 खास सरल उपाय-black sesame n jaggery ke upay
1. मकर संक्रांति के दिन काले तिल black sesame और गुड़ jaggery से सूर्यदेव की पूजा करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं।
2. एक लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें काले तिल डाल दें। इस जल को शिवलिंग पर ॐ नम: शिवाय मंत्र जप करते हुए चढ़ाएं। जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। जल चढ़ाने के बाद फूल और बिल्व पत्र चढ़ाएं। इससे जीवन में शुभ फल प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
3. शिवलिंग (Shivling) पर हर रोज काले तिल अर्पित करें। इससे शनि के दोष शांत होते हैं तथा पुराने समय से चली आ रही बीमारियां दूर होने की संभावना बढ़ जाती है।
4. काले तिल black sesame का दान करने से राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढैय्या तथा पितृ दोष आदि में यह उपाय लाभ देता है।
5. हर शनिवार काले तिल, काली उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। इससे धन से संबंधित समस्या दूर होती है।
6. दूध में काले तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाएं। इससे बुरा समय दूर होता है। यह उपाय मकर संक्रांति के अलावा हर शनिवार को करना चाहिए।
7. काले तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर खाने से जहां घर में सुख समृद्धि आती है, वहीं इसका दान करने से सूर्य-शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
8. कुंडली में शनि के दोष हों या शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो तो किसी पवित्र नदी में हर शनिवार काले तिल प्रवाहित करना चाहिए। इससे शनि दोषों की शांति होती है।
9. संक्रांति के दिन काले तिल के लड्डू, नमक, गुड़ Gud, काले तिल, फल, खिचड़ी और हरी सब्जी का दान अतिशुभ माना गया है।
10. मकर संक्रांति के दिन एक मुठ्ठी काले तिल लेकर परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर 7 बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक देने की भी मान्यता है, इससे अनायास होने वाली धनहानि में कमी आकर घर में धन की बरकत बनी रहती है।
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