4 दिसंबर, शनिवार को होने वाला ग्रहण भारत में दिखाई न देने के कारण यहां इसका कोई भी धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व नहीं माना जाएगा इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे ।सूतक आदि नियम इस ग्रहण के लिए मान्य नहीं होंगे। 4 दिसंबर, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से इस दिन शनिश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है। धार्मिक दृष्टिकोण से ये योग बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अफ्रीका, अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।
Solar eclipse 2021 |
फिर भी गर्भवती स्त्रियों के लिए विशेष सावधानी जरूरी रहेगी। पौराणिक मान्यता है कि ग्रहण के समय गर्भवती स्त्रियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है तो सूर्य और चंद्रमा पीड़ित हो जाते हैं। ग्रहण के समय कई तरह की ऊर्जा उत्पन्न होती है। जो गर्भ में पल रहे शिशु पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष उपाय करने की भी सलाह दी जाती है। ग्रहण के समय तेज धार वाली चीजों से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए। इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए
ग्रहण शुरू होने से पहले खुद को शुद्ध कर लें। ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान आदि कर लेना शुभ माना जाता है।
ग्रहण काल में अपने इष्ट देव या देवी की पूजा अर्चना करना शुभ होता है।
सूर्य ग्रहण में दान करना बेहद शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए।
ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता डालना चाहिए।
सूर्य ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण की तिथि: 4 दिसंबर, शनिवार.
सूर्य ग्रहण का आरंभ: प्रातः10:59 बजे से,
सूर्य ग्रहण समाप्त: दोपहर 03:07 मिनट पर।
कहां-कहां लगेगा सूर्य ग्रहण
भारत में इस सूर्यग्रहण ( Solar Eclipse 2021) को नहीं देखा जा सकेगा. साल 2021 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर को अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा।
पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी इस प्रक्रिया में चांद सूरज और धरती के बीच में आता है। इससे सूरज की कुछ या फिर सारी रोशनी धरती पर आने से रुक जाती है और धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह घटना अमावस्या के दिन होती है। ज्यादातर तो चांद सूरज के कुछ भाग को ढंकता है। जिसे खंड ग्रहण कहा जाता है, लेकिन कभी-कभार ऐसा भी होता है कि जब चांद सूरज को पूरी तरह से ढंक लेता है तो इसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं।
जानिए ग्रहण से जुड़ी खास बातें.
- साल 2021 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर, शनिवार को अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा।
- भारतीय समय के अनुसार 04 दिसंबर को सूर्यग्रहण का आरंभ सुबह लगभग 11 बजे से होगा, जो 03.07 मिनट पर खत्म हो जाएगा। करीब 01 बजकर 57 मिनट पर यह ग्रहण पूर्ण रूप से चंद्रमा की छाया में रहेगा।
- हिंदू पंचांग की ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह सूर्यग्रहण विक्रम संवत 2078 के कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा।
- भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। इस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। शास्त्रों के अनुसार जब भी ग्रहण का प्रभाव जिस क्षेत्र में होता है वहां पर सूर्य ग्रहण के लगने से 12 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है।
साल का आखिरी ग्रहण (Solar Eclipse 2021) 04 दिसंबर 2021 को लगने जा रहा है.जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढक जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है. इस बार सूर्य आंशिक रूप से ढका हुआ दिखाई देगा और आंशिक रूप से ग्रहण को 'खण्डग्रास ग्रहण' कहते हैं।
क्यों खास है ये सूर्य ग्रहण?
इस ग्रहण में सूर्य (Solar Eclipse 2021) का संयोग केतु से बनने जा रहा है. साथ ही इस ग्रहण में चन्द्रमा और बुध का योग भी होगा. सूर्य और केतु का प्रभाव होने से दुर्घटनाओं की संभावना बन सकती है. साथ ही राजनैतिक रूप से उथल-पुथल मच सकती है. वृश्चिक राशि विष की राशि है, इसलिए बीमारियां और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं. इसके अलावा, आकस्मिक दुर्घटना और त्रासदी जैसी स्थितियां बन सकती हैं।
सूर्य ग्रहण के दिन ही शनि अमावस्या का भी संयोग
ज्योतिष आचार्य की मानें तो चार दिसंबर को लगने वाला सूर्यग्रहण के दिन शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2021) भी है. ज्योतिष की दृष्टि से सूर्यग्रहण और शनि अमावस्या का एक हीं दिन पड़ना अद्भुत संयोग है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनि देव को सूर्य का पुत्र कहा जाता है. यदि सूर्य और शनि दोनों ग्रह एक साथ प्रसन्न हो तो लोगों को उत्तम फल मिलता है. ग्रहण के समय जरूरतमंदों और ब्राह्मण को दान करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है और सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
शनि अमावस्या तिथि और समय
अमावस्या आरंभ: दोपहर 04:55 से (3 दिसंबर, शुक्रवार).
अमावस्या समाप्त : प्रातः 01: 12 मिनट तक (4 दिसंबर, शनिवार)।
दान-पुण्य का विशेष महत्व
हर माह आने वाली अमावस्या तिथि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.गरुड़ व ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है.पितृदोष से मुक्ति को लेकर पितृ तर्पण, स्नान-दान इत्यादि करना बेहद आवश्यक है.ऐसा माना जाता है कि इससे पुण्य फल मिलता है।
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