किसानों की जीत, नया कृषि कानून बिल वापस/kisano ki jit, naya krishi kanoon bil vapas

पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा मै देश वासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहना चाहता हूँ कि हमारे प्रयास में कमी रही होगी कि हम उन्हें समझा नहीं पाये।आज गुरुनानक जी का प्रकाश पर्व है।आज मै आपको यह बताने आया हूँ कि हमने तीनो कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे । 

Farmers victory,new agriculture bill returned
3 new agriculture bill returned

पीएम मोदी ने आंदोलन पर बैठे किसानों को प्रकाश पर्व पर अपने घर वापस जाने की  घर लौटे, खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें, एक नई शुरूआत करे। आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रद करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।मोदी के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर तरह तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे है।

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी किसान कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हुए थे, जिन्हें आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार ने मान लिया है।

पिछले साल संसद से पास हुए थे तीनों कानून

गौरतलब है कि तीनों नए कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था ।इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी । किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी। जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी । सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई ।किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

पीएम मोदी ने कहा- किसानों को नहीं समझा पाए

प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि ये भी बहुत सुखद है कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है। पीएम मोदी ने किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने कितनी चुनौतियों को काफी करीब से देखा है। उन्होंने कहा कि किसान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। 100 में से 80 किसान ऐसे हैं जिनके पास महज 2 हेक्टेयर जमीन है। ऐसे किसानों की संख्या देश में करीब 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी पूरी जिंदगी का आधार यह जमीन का छोटा सा टुकड़ा है और इसी सहारे वे अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी यह जमीन का टुकड़ा और छोटा होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीज, बीमा और बाजार पर काम किया । उन्होंने ने कहा कि सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही यूरिया, स्वाइल हेल्थ कार्ड और माइक्रो इरिगेशन से भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि हमने 22 करोड़ स्वाइल हेल्थ कार्ड दिया।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की तरफ से की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि किसानों का कानूनों को समझाने का भरपूर प्रयास किया गया, अनेक माध्यमों से लेकिन वह समझ नहीं पाए। उन्होंने कहा कि हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जिन कानूनों पर ऐतराज था उनको समझने में सरकार ने भरपूर कोशिश की।

सरकार के कृषि कानून पर अपने फैसले के बाद अभी आंदोलन जल्द खत्म होगा यह बताना जल्दबाजी होगी, लेकिन धरना स्थल पर किसानों ने मिठाई बांटकर अपनी जीत का जश्न मनाया है।

वहीं अब पीएम मोदी के ऐलान के बाद किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन इसका श्रेय किसान संगठन, किसान आंदोलन और संयुक्त किसान मोर्चा को जाता है। मैं किसानों को बधाई देता हूं। हमारा संघर्ष जारी रहेगा। एक दो-दिन में हम संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाएंगे उसमें फैसला लेंगे।

किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा शनिवार, रविवार को अपनी कोर कमेटी की बैठक में भविष्य की रणनीति तय करेगा। वहीं उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार अपनी घोषणा (कृषि कानूनों पर) को बेकार नहीं जाने देगी और हमारी मांगों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से आगे बढ़ेगी, जिसमें एमएसपी की गारंटी के लिए कानून भी शामिल है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे बताया कि कृषि कानून के विरोध में जारी आंदोलन की पहली वर्षगांठ के मौके पर 26 नवंबर को बड़ी संख्या में किसानों को आंदोलन स्थलों पर लामबंद किया जा रहा है। वहीं इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि एक साल में 675 से अधिक किसानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। इधर, भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि वे तब तक विरोध करना बंद नहीं करेंगे जब तक कि संसद से कानून निरस्त नहीं हो जाते।

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Milan Tomic

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