छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर किया जाता है।छठ के पर्व को लोक आस्था के महापर्व रूप में माना जाता है।छठ पर्व 2022
महापर्व छठ प्रत्येक वर्ष लोक आस्था के मनाया जाता है। महापर्व छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। महापर्व छठ का व्रत जो महिलाएं रखती हैं उनकी संतानों को दीर्घायु और सुख समृद्धि प्राप्त होती है। महापर्व छठ का व्रत करने से निरोगी जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। छठ पर्व को कठिन पर्वों की श्रेणी में माना जाता है।जो 4 दिनों तक चलता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत करते हैं। कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है, इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।तो दोस्तों आइए जानते है कब स शुरू हो रहा है छठ पर्व और नहाय-खाए और खरना की तिथि
नहाय खाय शुभ योग
अभिजीत मुहूर्त | 11:48 AM से 12:33 PM |
अमृत काल | 12:53 AM से 02:22 AM |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:57 AM से 05:45 AM |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 06:37 AM से 10:42 AM |
रवि योग | 10:42 AM से 06:37 AM |
छठ पूजा का पहला दिन
छठ पर्व के पहले दिन को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है ।नहाय खाय का पर्व 28 अक्टूबर 2022 दिन शुक्रवार को हैं।महापर्व छठ कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी तिथि को पहली परंपरा का निर्वाह किया जाता है। छठ पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाए-खाए के रूप में मनाया जाता है। नहाय खाय परम्परा के अनुसार सबसे पहले घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के अन्य सभी सदस्य व्रती सदस्यों के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।छठ व्रत नियम के अनुसार, इस दिन भात, लौकी की सब्जी और दाल ग्रहण किया जाता है और खाने में सिर्फ सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।
छठ पूजा का दूसरा दिन
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के रूप में मनाया जाता है।खरना 29 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार को पड़ रहा है।महापर्व छठ के दूसरे दिन कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं। इसे 'खरना' के नाम से जाना जाता है। खरना के प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। खीर ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत रखा जाता है। खरना तिथि पर तन और मन के शुद्धिकरण पर ध्यान दिया जाता है ।
खरना का शुभ योग
अभिजीत मुहूर्त | 11:48 AM से 12:33 PM |
अमृत काल | 01:33 AM से 03:02 AM |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:58 AM से 05:46 AM |
छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को दिया जायेगा।
महापर्व छठ को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। सायंकाल को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर जाते हैं। सभी छठ व्रती महिला या पुरूष तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से डूबते हुए सूर्य को शाम 05:34 pm को अर्घ्य दान संपन्न करते हैं।
छठ पूजा का चौथ दिन
छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।उगते हुए सूर्य को अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को दिया जायेगा।
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले भक्त पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद लोग प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करते हैं।सूर्योदय का समय: प्रातः 06:31 पर
छठ पूजा की तिथि
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:49
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022, सुबह 03:27
सूर्यास्त का समय: सायं 5:37 पर
छठ पर्व का पौराणिक मान्यता
कहा जाता है कि, छठ पूजा का व्रत पौराणिक काल में माता सीता और महाभारत काल में सूर्यपुत्र कर्ण ने भी किया था और तभी से इस महान पर्व की शुरूआत हुई थी। वहीं कहा जाता है की इंद्रप्रस्थ की पटरानी और पांडवों की पत्नी ने भी छठ व्रत किया था।
छठ पूजा में क्या करना चाहिए
- छठ के पहले दिन सुबह-सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर सूर्य देवता की पूजा कर शुद्ध भोजन लौकी की सब्जी, चावल और दाल बनाएं।
- छठी मैया का प्रसाद बनाने के लिए गेहूं की सफाई अच्छे से करें।
- पूजा के दूसरे दिन पूरे दिन निर्जला रहकर शाम के वक्त रोटी, गुड़ और चावल की खीर बनाकर छठी मैया को खीर,रोटी और फल से भोग लगाएं।
- व्रत के तीसरे दिन शाम को बांस या पीतल की टोकरी में फूल, ठेकुआ, चावल का लड्डू, फल और फूल डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
- शाम के वक्त सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए जल का इस्तेमाल करें और सुबह में दूध का। रात के समय व्रत की कथा पढें या सुनें और छठी मैया का गीत गाए।
- पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को दूध से अर्घ्य देने के बाद आसपास के लोगों को प्रसाद वितरण करें।
- बाद में जल पिकर व्रत तोड़ें।
- प्रसाद देते समय यह ध्यान रखें कि हाथ और पांव साफ-सुथरे होने चाहिए।
- 4 दिनों तक भूलकर भी सामान्य नमक का सेवन ना करें।
- यदि कोई छठ पूजा कर रहा हो, तो वहां जाकर सूर्य देवता को हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए अपनी की गई गलतियों की क्षमा मांगें।
छठ पूजा में क्या नहीं करना चाहिए
- छठ व्रत की तैयारी स्नान और घर की सफाई करने के बाद ही करें।
- छठ पूजा के दौरान लहसुन, प्याज मांस मदिरा जैसे तामसिक भोजन का प्रयोग बिल्कुल ना करें।
- प्रसाद में साधारण नमक का प्रयोग भूलकर ना करें।
- छठी मैया को भोग लगाने से पहले प्रसाद का सेवन ना करें ना ही उसके स्वाद की जांच करें।
- प्रसाद चढ़ाने से पहले बच्चों को उसके आसपास भी ना जाने दें।
- छठी मैया को अर्घ्य देने के लिए पुरानी बांस की टोकरी का इस्तेमाल ना करें।
- व्रत में किसी पर नाराज ना हो।
- शांति श्रद्धा से व्रत करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया बहुत दयालु है, जो खुश होने पर व्यक्ति की सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देती है। ऐसे में इस व्रत को कर करते समय हर नियमों का पालन अवश्य करें।
- व्रत के दौरान स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत में जितनी स्वच्छता पवित्रता रखी जाती हैं, छठी मैया उतनी ही जल्दी प्रसन्न हो जाती है।
- छठ व्रत में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की सफाई अच्छे से करें।
- बर्तनों को बच्चों से दूर रखें।
- व्रत में हमेशा स्वच्छ और ताजे फूल का इस्तेमाल करें।
- माता को प्रसाद चढ़ाते समय उनका भजन गाते रहे।
- छठ में तैयार किए गए किसी भी भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग ना करें।
- यदि आपके घर या आसपास कोई छठ व्रत कर रहा हो, तो तामसिक भोजन, शराब जैसे अशुद्ध चीजों का सेवन ना करें।
- व्रत के दौरान बिस्तर पर ना सोएं ना ही किसी के लिए बुरा बोले और ना ही तेज बोलें।
- पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री को स्वच्छ स्थान पर रखें।
नोट - छठ पर्व का हमारा यह लेख आप लोगों को कैसा लगा कमेंट करके अपनी राय दें।
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