लड्डू गोपाल की लीलाएं उनका मनोरम स्वरूप सबका मन मोह लेता है. , उनपर प्यार लुटाएं, उन्हें झूला झुलाएं उनका शृंगार करें सभी भक्त इसी उल्लास के साथ यह त्यौहार मनाते हैं। प्रतिवर्ष भाद्रपद अर्थात भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन ब्रजमंडल अर्थात मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाने में जन्मोत्सव की धूम रहती है। इस बार श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस लेख में हम आपको नटखट गोपाल के जन्मोत्सव पूजन करने के तरीके के बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त |
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार इस वर्ष 18 अगस्त और 19 अगस्त को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के जेल में भादो महीने के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था। कृष्ण भक्त भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में हर्ष, उल्लास और भक्तिभाव के साथ मानाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल गोपाल रूप की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था इसलिए जन्माष्टमी पूजा भी मध्यरात्रि में करने की परंपरा है। वहीं, समस्त ब्रज धाम जन्माष्टमी की अनुपम छटा से सराबोर दिखाई पड़ता है।
जन्माष्टमी मनाने का शास्त्र मत -
इस साल की जन्माष्टमी की बेहद चौंका देने वाली बात ये है कि इस बार कृष्ण जन्मोत्सव पर रोहिणी नक्षत्र नहीं होगा। ऐसे में अधिकांश शास्त्रकारों ने अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी में ही व्रत पूजन एवं उत्सव मनाने को सही माना है। इतना ही नहीं श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण जैसे धर्म ग्रंथों के अनुसार भी अर्धरात्रि अष्टमी में ही जन्माष्टमी मनाने के बारे में वर्णित है।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त -
जन्माष्टमी भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 18 अगस्त के दिन पड़ रही है।अष्टमी का सही समय 18 अगस्त, दिन गुरुवार को रात 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं, इसका समापन 19 अगस्त, दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा सकती है।
लेकिन ज्योतिष के अनुसार, 18 को जन्माष्टमी मनाने के साथ साथ व्रत का पालन किया जा सकता है लेकिन 19 को जन्मोत्सव के दौरान व्रत नहीं रखा जाएगा क्योंकि यह वैष्णव जन्माष्टमी है जो सन्यासियों द्वारा उत्सव के रूप में मनाई जाती है। हालांकि, ब्रज धाम यानि कि मथुरा वृन्दावन में जन्माष्टमी उत्सव 19 को ही मनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त पूजा मुहूर्त की बात करें तो, जो लोग 18 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मना रहे हैं उनके लिए रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से लेकर 1 बजे तक का समय कन्हैया की पूजा हेतु सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है -
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 19 अगस्त 2022 शुक्रवार को मनाया जाएगा। पंचांग भेद से कुछ लोग 18 अगस्त को भी मनाएंगे।
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19 अगस्त को भी क्यों मनाई जा रही है जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल जाने के बाद जब 8वां मुहूर्त उपस्थित हुआ तभी उनका जन्म हुआ। उस दौरान आधी रात थी। यदि हम आठवें मुहूर्त की बात करें तो 19 को यह रहेगा और यदि आधी रात की बात करें तो यह 18 को रहेगी।
जन्माष्टमी 18 अगस्त को क्यों मनाई जा रही है -
18 तारीख को सप्तमी तिथि रात्रि 09:20 बजे तक तक रहेगी उसके बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो अगले दिन यानी 19 अगस्त को रात्रि 10:59 तक रहेगी। इसलिए 18 की रात्रि को 12 बजे अष्टमी मनाई जा सकती है।
19 अगस्त का शुभ मुहूर्त -
- अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:36 से 12:27 तक।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:11 से 03:03 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:17 से 06:41 तक।
- सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:30 से 07:36 तक।
- निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:40 से 12:24 तक।
- अमृत काल मुहूर्त : रात्रि 11:16 से 01:01 तक।
- इस दिन बुधादित्य योग रहेगा।
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गृहस्थ जीवन वाले जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाये -
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 गुरुवार की रात 09:21 से शुरू हो रही है। अष्टमी तिथि की समाप्ति 19 अगस्त 2022 शुक्रवार की रात 10.50 पर होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था इस कारण ज्यादातर लोग जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाएंगे। ज्योतिष के अनुसार उदयातिथि को मानते हुए 19 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाना उत्तम है। बता दें कि ज्यादा साल ऐसा होता है जब कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है। इस बार भी ऐसा ही है। इस साल गृहस्थ जीवन जीने वाले 18 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। जबकि बांके बिहारी मंदिर और द्वारिकाधीश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 19 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी शुभ पूजा मुहूर्त -
श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त-18 अगस्त रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा।
पूजा अवधि- 45 मिनट
व्रत पारण समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन शुभ शंयोग की उतपत्ति -
इस साल यानी जन्माष्टमी 2022 पर वृद्धि और ध्रुव नामक दो शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग के कारण इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। ऐसी मान्यता है कि वृद्धि योग में बाल गोपाल की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। जानें वृद्धि योग और ध्रुव योग का समय-
वृद्धि योग प्रारंभ : 17 अगस्त 2022 रात 08.56 से
वृद्धि योग समाप्त: 18 अगस्त रात 08.41 बजे तक
ध्रुव योग प्रारंभ: 18 अगस्त 2022 रात 08.41 से
ध्रुव योग समाप्त : 19 अगस्त रात 08.59 पर तक
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के लिए आवश्यक पूजन सामग्री -
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर शिशु कृष्ण के लिए पालना या झूला, शिशु कृष्ण की एक धातु की मूर्ति, कृष्ण की मूर्ति के पास रखने के लिए एक छोटी बासुरी, एक पोशाक, आभूषण, कलश, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र, सिंहासन, गंगाजल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, चंदन, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, केसर, मक्खन,मिश्री, धनिया पंजीरी, मखाने की खीर, आटे की पंजीरी, मखाना पाग, दिया, दिया जलाने के लिए तेल या घी, रुई की बाती,, अगरबत्ती, धूप, आदि की आवश्यकता होती है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि -
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें।
लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।
रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें.
लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं.
लड्डू गोपाल की आरती करें.
इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें.
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