स्रवण पूर्णिमा 2022 में 11 अगस्त 2022 गुरुवार को है।रक्षा बंधन का पर्व 11अगस्त को मानना चाहिए या नहीं? इस विषय में कुछ लोगों का कहना है कि उस दिन ज्योतिष के अनुसार या यह कहें कि विद्वानों द्वारा पंचांग अनुसार भद्रा है, जो कि अशुभ है।Raksha bandhan arvind 2022,tilak lagane ke fayde
11 अगस्त 2022 की पूर्णिमा को संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा एवं चंद्रमा के मकर राशि में होने से भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा। पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहेगी, इसलिए पूरे दिन सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार अच्छे चौघड़िया और शुभ दैनिक लग्न अनुसार राखी बांधकर त्योहार मना सकते हैं।
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृषभ, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है।
भद्रा जिस लोक में रहती है, वहीं प्रभावी रहती है। इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नहीं। शास्त्र अनुसार जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी होती है।
हमारे ज्योतिष शास्त्र अनुसार जिस प्रकार चंद्रग्रहण या सूर्यग्रहण जहां दिखाई देता है, उसी स्थान या यह कहें उस देश, प्रांत या शहर में मान्य होता है, उसी प्रकार भद्रा जिस लोक में रहेगी अर्थात वास करेगी उसी लोक में मान्य है। पृथ्वी पर है नहीं तो हमारे लिए भद्रा को उस दिन न मानें।
11 अगस्त को 11.39 बजे प्रात:काल पूर्णिमा प्रारंभ हो रही है। शास्त्रों के अनुसार जिनमें जय मार्तण्ड पंचांग अनुसार भी जब भद्रा पाताल लोक में रहती है तो शुभ होती है, फिर यह भ्रम क्यों? अत: 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाना चाहिए।
हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है, जिससे रक्षा बंधन की सही तिथि को लेकर काफी भ्रम है। भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार में बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वादा करते हैं।
12 अगस्त 2022 को राखी बांधने का शुभ समय - Auspicious time to tie Rakhi on 12th August 2022 -
सावन मास की पूर्णिमा 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू हो रही है और 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी। इसी के साथ भद्रा सुबह से शुरू होकर रात 08:51 बजे खत्म होती है। इसके बाद बहनें भाइयों को राखी बांध सकती हैं। लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार सूर्यास्त के बाद कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। इसलिए 12 अगस्त को राखी का पर्व शुभ माना जाता है। 12 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 7:05 बजे तक रहेगी। इस समय तक राखी बांधना शुभ रहेगा।
11 अगस्त को राक्षबन्धन मनाने का समय - Time to celebrate Rakshabandhan on 11th August -
ज्योतिषियों के अनुसार 11 अगस्त को दिन भर भद्रा रहेगी। ऐसे में है। लेकिन पुंछ भद्रा के समय राखी बांधी जा सकती है। आपको बता दें कि 11 अगस्त को रक्षाबंधन का भद्रा पुंछ शाम 05।17 बजे से शाम 06।18 बजे तक है। इस दौरान राखी बांधना शुभ रहेगा। शास्त्रों के अनुसार जब भद्रा का वास मृत्युलोक(पृथ्वीलोक)में होता है तभी केवल वह अशुभ माना जाता है। पाताल लोक अथवा स्वर्गलोक की भद्रा का वास शुभ फलदायी होता है।
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 अगस्त सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक
शुभ समय: 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
अमृत काल: दिन में दोपहर 2 बजकर 09 मिनट से 3 बजकर 47 मिनट तक
बेहतर होगा कि रक्षा बंधन 12 अगस्त को सुबह-सुबह 7 बजे से पहले मनाया जाए। क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि भी होगी और भद्रा भी नहीं रहेगा।
बहनों द्वारा राखी बांधने की विधि - how to tie rakhi by sisters
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों को हैं। इस दिन बहनें थाली में रोली, चंदन, राखी, घी का दीपक, मिठाई, अक्षत, फूल आदि रखती हैं। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठाएं। फिर सबसे पहले भाई की आरती करें। इसके बाद माथे पर रोली, चंदन और अक्षत लगाएं। इसके बाद फूल चढ़ाएं और फिर राखी बांधें। अंत में मीठा खाएं। इसके बाद भाई-बहनों के पैर छूकर उन्हें उपहार दें।
माथे पर तिलक लगाने का महत्व - Importance of applying tilak on forehead
रक्षाबंधन का त्योहार हो या अन्य कोई मौका माथे पर तिलक लगाने की परंपरा हमारे यहां बरसों से है। आप बचपन से भाई को राखी से पहले तिलक लगाती आई हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह तिलक क्यों लगाया जाता है। क्या है इसका शुभ महत्व।। आइए जानते हैं....
रक्षा बंधन पर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बरसों पुरानी ये परंपरा आपकी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं -
1. आमतौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक किया जाता है। कहा जाता है कि जो लोग तिलक लगा हुआ दिखाना नहीं चाहतें, तो वे ललाट पर जल से तिलक भी करके इसके फायदे पा सकते हैं।
2.माथे पर तिलक लगाने से व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है और इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है।
3.माना जाता है कि ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तिष्क शांति रहता है और सुकून का अनुभव करता है। साथ ही कई मानसिक बीमारियां भी इससे ठीक हो सकती है।
4.माथे पर तिलक लगाने से दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होने में मदद मिलती है। साथ ही सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।
5.हल्दी युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है क्योंकि हल्दी में एंटी बैक्ट्रियल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त दिलाने में सहायक होते है।
6. एक धार्मिक मान्यता ये भी है कि चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं और ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।
7.माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
8.राखी के पावन अवसर पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से ही तिलक किया जाता है। कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है।
9.यह तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है। तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है। यह स्थान छठी इंद्री का है।
10.इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के इस स्थान पर तिलक के माध्यम से दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है।
11.माथे पर आप दोनों भौहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यहां तिलक करने से ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
12.इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह हुआ कि बहन की समाज में रक्षा के लिए इन सभी गुणों की जरूरत है अत: बहन के ही शुभ हाथों से कार्य संपन्न होना चाहिए। बहन से अधिक शुभ आपके लिए कौन सोच सकता है और वह भी राखी जैसे पर्व के दिन। अत: राखी के दिन भाई को कुमकुम से बहन के हाथों तिलक का रिवाज है।
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